जयपुर। वैश्विक स्तर पर कम से कम 500 मिलियन लड़कियों के पास मासिक महावारी स्वच्छता (Menstrual hygiene ) उत्पादों तक पहुँच नहीं है। कई लड़कियां अपने पीरियड्स के दौरान स्कूल छोड़ देती हैं क्योंकि वे पैड्स को खरीद नही पाती है। भारत में मासिक महावारी की स्वच्छता वास्तव में बहुत खराब है, आंकड़े बताते है।

भारतीय समाज में मासिक महावारी को आज भी वर्जित माना जाता है। माताएं भी अपनी बेटियों से इस विषय पर बात करने से कतराती हैं क्योंकि उनमें से कई को यौवन और मासिक महावारी पर वैज्ञानिक ज्ञान की कमी होती है।

जगतपुरा में 50 से ज्यादा युवा लड़कियों और महिलाओं के साथ एक मुफ्त मासिक महावारी स्वच्छता जागरूकता संगोष्ठी का आयोजन अपोयो फाउंडेशन ने किया। संगोष्ठी का फोकस मासिक महावारी स्वच्छता प्रबंधन का उचित ज्ञान देना था।

यह जानकारी अपोयो फाउंडेशन की संस्थापक जशनप्रीत कौर ने दी।

उन्होने बताया कि संगोष्ठी में मासिक महावारी के दौरान महिलाओं को होने वाली समस्याओं पर चर्चा और मेंस्ट्रुअल कप जैसे एक बेहतर विकल्प, जो न केवल संक्रमण को रोकता है बल्कि अधिक आरामदायक, पर्यावरण हितेषी और किफायती विकल्प है।

एक महिला प्रति माहवारी चक्र में 12 पैड का उपयोग करती है व जीवन भर में 5000 से 7000 पैड का उपयोग करती है। और पैड के लिए कोई सेफ डिस्पोजल विकल्प नहीं है क्योंकि एक पैड को प्रोपरली डिस्पोसे होने में 5000 साल लगते हैं। उस कचरे के बारे में सोचें जो हम पर्यावरण को दे रहे हैं और हम चले जाएंगे लेकिन यह कचरा ग्रह पर ही रह जायेगा।

अपोयो फाउंडेशन ने सभी युवा लड़कियों को पैड से छुटकारा पाने और न केवल अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए बल्कि पर्यावरण को भी बेहतर बनाने के लिए मेंस्ट्रुअल कप का उपयोग शुरू करने की सलाह दी। मेंस्ट्रुअल कप को मौका दें और यह आपकी जिंदगी बदले।

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